बुधवार, मई 23, 2007

अन्धाधुन्ध अघोषित विद्युत कटौती से चौपट हुये किसान,छात्र, और व्यवसायी

अन्धाधुन्ध अघोषित विद्युत कटौती से चौपट हुये किसान,छात्र, और व्यवसायी


असलम खान


मुरैना 4 जनवरी 2006 ! ग्वालियर टाइम्स समाचार सेवा, मुख्यमंत्री बदलने के साथ ही प्रदेश की विद्युत व्यवस्था कितनी बुरी तरह चरमरा गयी है, भयावह परिणाम सामने आने लगे हैं ! उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के पिछले मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के कार्यकाल में प्रदेश की विद्युत व्यवस्था एकदम चकाचक हो गयी थी और एक मिनिट के लिये भी बिजली कहीं नहीं जाती थी ! गौर के कार्यकाल में विद्युत समस्या इतनी विकराल और विकट नहीं रही जितनी कि वर्तमान में हो चुकी है !
लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी विद्युत व्यवस्था का आलम यह है कि पूरी तरह से अघोषित रूप से की जा रही विद्युत कटौती ने जनता की कमर तोड़कर सबको चौपट करने की कगार पर खड़ा कर दिया है ! शहरों की बात छोड़िये जिला और सम्भागीय मुख्यालयों की हालत ये है कि कब किस समय कितनी देर के लिये बिजली गुल हो जाये, किसी को नहीं पता !
विद्युत की दुरावस्था के चलते जहां छात्र-छात्राओं की परीक्षायें सिर पर होने के बावजूद बिजली की अव्यवस्था के चलते उनकी पढ़ाई पूरी तरह संकट में आ चुकी है वहीं छोटे व्यवसायी जिनका समूचा व्यवसाय और रोजी रोटी बिजली पर ही आधारित है पूरी तरह चौपट होकर ठप होने के कगार पर आ पहुंचे हैं ! जहां छात्र इक्कीसवीं सदी में आकर आज दिया और लालटेन की रोशनी में परीक्षा की तैयारी करने पर मजबूर हैं वहीं कैरोसिन के अभाव में और कैरोसिन की ब्लैक मार्केटिंग के चलते उनकी लालटेन व चिमनियां भी संकट में ही हैं !        
ग्रामीण क्षेत्रों की हालत तो और भी बुरी है, गांवों का आलम ये है कि गरीब किसानों को रोजाना महज दो या तीन घंटे ही बिजली मिल पा रही है ! जहां खेतों में खड़ी फसलों में फिलवक्त पानी देने का समय है वहीं रामप्रसाद बिस्मिल की धरती और भारतीय सेना में जांबाजी के साथ जान पर  खेलते नौजवानों के परिवारों में पलते और बढ़ते छात्र-छात्राओं का अंधाधुंध विद्युत कटौती के चलते उनका क्या भविष्य होगा यह अंदाज आप खुद ही लगा सकते हैं !
जहां वर्तमान युग प्रतियोगिताओं का युग है वहीं साधनों और सुविधाओं के अभाव में भी संघर्ष से जूझ रहे ग्रामीण छात्रों पर अघोषित विद्युत कटौती की मार मानो कहर बनकर टूटी है ! अब आप न गांवों से न शहरों से किसी कल्पना चावला या सानिया मिर्जा, सी. बी. रमन और अटलबिहारी बाजपेयी बनने की उम्मीद न करिये ! चम्बल घाटी के सुनहरे दिन तो अब लद गये , और आगे जाते-जाते हम बहुत पीछे पहुंच गये !
जहां आज सूचना का अधिकार, ई-गवर्नेन्स, एम.पी. पोर्टल योजना जैसी तकनीकोें और मध्यप्रदेश को आई.टी.हब तथा हाईटेक शहरों की बात एक महीने से पहले करके जहां हम फूले नहीं समाते थे और तेजी से आगे बढ़ रहे मध्यप्रदेश पर सिंह द्ष्टि डालकर  खुद को गौरान्वित महसूस करते थे और भयभीत भ्रष्टों और रिश्वतखोरों की कसती लगामें और काले पड़ते चेहरों को देख हमारे चेहरे चमक गये थे, आज जुम्मा जुम्मा एक माह गुजरते ही न हाईटेक सिटी रही न आई.टी. हब रहा न एम.पी.पोर्टल योजना रही न ही ई-गवर्नेन्स, और सूचना का अधिकार तो मानो इतिहास की बात हो गयी न इसमें दिये आवेदनों का कोई अर्थ रहा और न इसका पालन ! कुल एक महीने के भीतर ही भ्रष्टाचार एकदम मानो कब्र से दहाड़कर उठ आया हो और अब भ्रष्टाचार के गर्त में आकंठ डूब चुके भ्रष्ट सरकारी अफसर खुलकर तांडव कर रहे हैं, मगर अफसोस न उनकी लगामें रहीं और न उन पर नजर रखने वाले या देखने, सुनने वाले! जनता की फरियादें मानो नक्कारखाने में तूती की आवाज !
कहां जाती है गायब बिजली , कौन हैं असली चोर ?
गोया जब हमने तहकीकात की कि अघोषित कटौती में रोजाना गुम हो रही बिजली आखिर जाती कहां है ? तो बढ़ी मजेदार बात सामने आयी बिजली कम्पनी के कई कारिन्दे लाखों की मोटी माहवारी खाकर करोड़ों की बिजली कई छोटी बढ़ी फैक्ट्रीओं और धन्नासेठों की मिलों में भेंट रूप में दी जाती है और जो नुकसान होता है उसकी भरपाई गरीब आम जनता की बिजली काटकर, बिना बिजली दिये ही जबरन बिल बसूलकर की जाती है ! करामात देखिये कि प्रत्येक माह बिजली का मासिक औसत बिल भरने वाले उपभोक्ता को हर हाल में बिजली मिले या न मिले बिल उतना ही भरना पड़ता है चाहे महीने के 720 घंटों में से कुल 30-40 घंटे ही बिजली मिले ! अब बताईये जनाब कि पिछले 6 साल से इस तरह मुफ्त का पैसा गरीब जनता से जबरन बसूल रहे लोग चोर हैं या वह जनता जो बिना बिजली मिले और कटौती की बिजली का भी बिल भरती आ रही है !
ब्‍यूरो चीफ- चम्‍बल संभाग  

 

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