सोमवार, जुलाई 06, 2009

आओ विद्युत बचाएं: देश को आगे ले जायें, विद्युत की बचत ही विद्युत का उत्पादन है

आओ विद्युत बचाएं: देश को आगे ले जायें, विद्युत की बचत ही विद्युत का उत्पादन है

आदेश शर्मा (भारद्वाज)

काशी नरेश की गली , भारद्वाज बाडा ग्वालियर, बाइल : 9826284045

       विद्युत राष्ट्रीय ऊर्जा है तथा राष्ट्र की समृध्दि और विकास का आधार भी। विद्युत ऊर्जा के उपयोग और उपभोग के प्रति आम जनता और उपभोक्ता की सोच दूरगामी परिणामों को लेकर गंभीर नहीं है। विद्युत का उपयोग  बेदर्दी और प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर हो रहा है। आम तौर पर होने वाले कार्यक्रमों में इस तरह की स्पर्धा बढ़-चढ़ कर देखी जा सकती है । प्राय: लोग विद्युत उपयोग का भी दिखावा करते हैं और कहते हैं कि ''हमने इतनी रोशनी की'' हमें ऐसे थोथे विचारों को त्यागना होगा जो राष्ट्रीय ऊर्जा का संकट बढाने वाले साबित हों । दरअसल विद्युत का मितव्ययता से उपयोग ही राष्ट्र  और समाज के भविष्य को मजबूती प्रदान करने वाला हो सकता है।

       विद्युत ऊर्जा का उपयोग हमें अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित धन की तरह करना चाहिए। साथ ही हमें अपने मन में यह भाव भी लाना होगा कि हम राष्ट्रीय ऊर्जा का अनावश्यक और अनाधिकृत उपयोग कर अपराध न करें । विद्युत ऊर्जा के अनियमित उपयोग से बिजली और पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है जिससे सामाजिक वैमनस्यता बढ रही है और राष्ट्रीय और सामाजिक प्रगति भी अवरूध्द होती है।

       हमारे देश में पॉच तरीकों से विद्युत उत्पादन किया जा सकता है इनमें से (हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी ) जल विद्युत इकाई के निर्माण एवं उपयोग योग्य बनाने में लगभग 10 से 12 वर्ष का समय, हजारों व्यक्तियों का श्रम और 1000 करोड़ की  अनुमानित लागत आती है तब कहीं  450 से 500 मेगावॉट विद्युत उत्पादन वाली विद्युत इकाई स्थापित होती है । जिससे प्रति यूनिट उत्पादन लागत लगभग 60 पैसे आती है ।

कोयले से उत्पादित की जाने वाली (ताप विद्युत) इकाई के कार्य को पूरा करने में पांच वर्ष छ: माह का समय और लगभग 500 करोड़ की लागत आती है जिससे 250 से 500 मेगावॉट का उत्पादन होता है । ताप विद्युत ऊर्जा की  लागत 2.50 रूपये प्रति यूनिट आती है। वहीं नाभिकीय विद्युत (न्युक्लिीयर इलेक्ट्रिीसिटी) इकाई को उत्पादन योग्य बनाने में पॉच वर्ष का समय और 900 करोड़ रूपये की राशि खर्च कर 500 से 1000 मेगावॉट विद्युत उत्पादन किया जा सकता है । नाभिकीय ऊर्जा की प्रति यूनिटउत्पादन लागत लगभग 1.90 रूपये  आती है। सौर ऊर्जा और वायु वेग से  (विन्ड इलेक्ट्रिसिटी) विद्युत उर्जा का उत्पादन रेगिस्तानों अथवा समुद्री तटों आदि पर जहां सूर्य की तेज किरणों से अथवा तीव्र गति वायु औसतन 60 से 75 किमी प्रति घण्टा के वेग से चलती हो से किया जाता है ।

काफी समय, कठिनाईयों, करोड़ों रूपये की लागत तथा हजारों हाथों की मेहनत से उत्पादित विद्युत ऊर्जा की मांग जिस तेजी से बढ रही है उसके अनुरूप उत्पादन किया जाना संभव नहीं हो पा रहा । भविष्य  में ऊर्जा संकट से निजात दिलाने के लिये सरकार ने बिरसिंगपुर में 500 मेगावॉट और अमरकंटक में 210 मेगावॉट बाणसागर, टोन्स, रीवा के सिलपरा में तीन विद्युत इकाईयों में 40 मेगावॉट, 30 मेगावॉट और 20 मेगावॉट के अलावा मणी खेडा बांध पर भी एक  जल विद्युत ईकाई को उत्पादन योग्य बनाया जा रहा है । म.प्र. शासन और विद्युत मण्डल दोनों की जागरूकता से विद्युत के क्षेत्र में किये जा रहे सकारात्मक प्रयास  भी दिखाई दे रहे हैं। इन प्रयत्नों के साथ - साथ विद्युत उपभोक्ताओं का सक्रिय सहयोग भी अति आवश्यक है।  हमें विद्युत उर्जा बचत के लिये कम उर्जा खपत कर अधिक रोशनी प्रदान करने वाले सी.एफएल को उपयोग में लाना चाहिये। साथ ही जब भी घर के बाहर जावें बत्ती  बुझाना भी न भूलें 

       सड़क बत्ती के उपयोग में 250 वॉट के हैलोजन बल्वों की जगह 100 वॉट की सी.एफ.एल उपयोग में लावें ।  साथ ही सर्किट व्यवस्था से चलने वाली सड़क बत्ती को अमल में लाना चाहिये। ऊर्जा संकट में ए.सी. तथा अधिक विद्युत खपत वाले उपकरणों का मित्तव्ययता से उपयोग करना चाहिये ताकि ए.सी. से बाहर निकलने पर होने वाले शारीरिक तापमान के असन्तुलन से  होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सके ।  इस प्रकार सावधानी से जहाँ हम शरीर को स्वस्थ्य रख सकते हैं वहीं ऊर्जा बचत के महायज्ञ में भी अपना योगदान दे सकते हैं ।

       ऊर्जा बचत हमें जोड़ती है । परिवार के सभी सदस्य एक कमरे में इकट्ठा बैठकर बत्ती, पंखा या कूलर का सामूहिक उपभोग करके भी विद्युत की बचत कर सकते हैं ।  नगरीय क्षेत्र में पानी के लिये प्रत्येक घर में प्रयुक्त होने वाली 250 वॉट की विद्युत मोटरों को एक साथ एक समय में चलाकर भारी विद्युत ऊर्जा खर्च की जाती है । अगर वार्ड और मोहल्लों में पानी की बडी टंकियों निर्मित की जाकर ज्यादा दबाब से पानी दिये जाने की व्यवस्था को व्यवहार में लावें तो विद्युत की काफी बचत की जा सकती है।   

       विवाह समारोह और अन्य सार्वजनिक आयोजनों हेतु उपयोगी क्षेत्रफल में पर्याप्त प्रकाश मिलने में उपयोग होने लायक भार की  ही स्वीकृति प्रदान की जावे । एक ही स्थान पर    चार-चार बल्वों का उपयोग न करें । अनावश्यक उपयोग की जा रही विद्युत ऊर्जा को रोका जाकर विद्युत बचत की जा सकती है। यदि संभव हो तो शादी समारोह आदि दिन में आयोजित किये जावें जिससे बिजली की बचत होगी । स्कूलों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को विद्युत उपयोग की महत्ता से अवगत कराने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं ।साथ ही सरकारी कार्यालयों में सीमित विद्युत उपयोग किया जावे । प्रदेश के शासकीय कार्यालयों द्वारा देश के अन्य राज्यों के समान पांच दिवसीय कार्यशील सप्ताह शैली को अंगीकार किया जाना चाहिये। बाजार सायं काल जल्दी बन्द किये जावें। सड़क बत्ती सांयकाल देरी से चालू की जाकर सुबह जल्दी बन्द की जावें।  हीटर/गीजर की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण का उपयोग किया जावे तथा सी एफ एल सस्ती दरों पर सुलभ हों । विद्युत बचत के उपायों को अपनाकर हम मॉल एवं शापिंग कॉम्पलेकसों में उपयोगिता के आधार पर विद्युत का उपयोग हो न की प्रदर्शनार्थ अनाप - शनाप विद्युत प्रयुक्त की जावे। भवनों के निर्माण में प्राकृतिक  प्रकाश का अधिक लाभ मिले, इस बात का ध्यान रखा जावे।     विद्युत बचत के उपायों को अपनाकर हम  करोड़ों रूपये और हजारों हाथों की कड़ी मेहनत से उत्पादित की जाने वाली विद्युत ऊर्जा के उचित उपयोग से प्रदेश के उद्योगों, कृषि क्षेत्र और चिकित्सा जैसे अतिमहत्वपूर्ण कार्य हेतु पर्याप्त विद्युत ऊर्जा प्रदान कर प्रदेश और देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं।

 

आदेश शर्मा (भारद्वाज)

काशी नरेश की गली

भारद्वाज बाडा ग्वालियर

मेबाइल : 9826284045