गुरुवार, नवंबर 12, 2009

म.प्र. में बिजली के लिये त्राहि –त्राहि मची, गॉंवों में किसानों को दो दिन बाद दो घण्‍टे और शहरों में सिर्फ 3 घण्‍टे मिलती है बिजली

म.प्र. में बिजली के लिये त्राहि त्राहि मची, गॉंवों में किसानों को दो दिन बाद दो घण्‍टे और शहरों में सिर्फ 3 घण्‍टे मिलती है बिजली

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

यूं जर्रा जर्रा महताब हुआ, मेरा सजन तो आफताब हुआ, उनकी इस अदा का क्‍या कहिये कि जो बचा खुचा था वो भी सूपड़ा साफ हुआ ।

       बदले बदले से सरकार नजर आते हैं, जिनके कन्‍धों पर पग रख के पहुँचे एक ऊँचाई तलक, आज कहते हैं कि मैं आसमान हुआ ।

आसमां पे उड़ने वाले तेरी पतंग की डोर जिन हाथों में, जरा खौफ खा वरना मत कहना कि ये क्‍या कमाल हुआ ।

ये जर्रा धूल का, फांकोगे तो ऑंतें फुंक जायेगी, फेफडे चलनी हो जायेंगे, ठोकर मारोगे तो न कहना कि सिर पे सवार हुआ ।

कल तक जिस मिट्टी ने तुझे पुतला बना कर एक भगवान बना दिया, उस मिट्टी को ललकारेगा तो न कहना कि क्‍या सब्‍जबाग हुआ ।

तू भूल गया उपने जानो जॉं पर खेल खून के कतरे बहाने वालों को, मत कहना कि ये कतरा तो अब दरिया हुआ ।

ओ कान में तेल औ ऊंगली फंसा के सोने वाले, जिनकी नींद हराम हुयी फिर न कहना कि ये क्‍या कोहराम हुआ ।

जिद तेरी है इस वतन की मिट्टी को मिटाने की, तो इक जिद मेरी भी है इसे बचाने की, जब दो जिद टकरायें तो न कहना कि व्‍यर्थ संग्राम हुआ ।

हम तो खिलाड़ी हैं घर फूंक तमाशे वाले, तेरा चमन गर उजड़ा तो न कहना कि ये क्‍या वीरान हुआ ।

चम्‍बल के बेटों को शौक है मौत से टकराने का, तेरी वो बिसात कहॉं, गर मौत बन कर हम टूटें तो न कहना कि ये क्‍या जंजाल हुआ ।

कितना भी उँचा तू उठा अभी मेरे मुकाबिल नहीं पहुँचा, तुझसे छिनने लुटने को काफी है मैं नंगा ही सही, फिर न कहना कि ये क्‍या किस किस को बचाऊं क्‍या ये बवाल हुआ ।

दौलत और शोहरत के भ्रष्‍ट समन्‍दर में तैरने वाले, हम जो तूफां बन के तेरी किश्‍ती डुबोये तो न कहना कि ये क्‍या मंझधार हुआ ।

हसरत है गर तेरी दो दो हाथ की, मन मेरा भी है अब तुझये टकराने का , लगा जोर तू पूरा फिर न कहना कि तुझे कह कर नहीं मारा ।

यूं अब आही जा मुकाबिल मेरे, मैं हिन्‍दुस्‍तान तो तू पाकिस्‍तान सही, तेरी हसरत और मेरा मन भर जायेगा फिर न कहना कि मुकाबला ही कहॉं हुआ ।

क्‍या जरूरत कंस की रावण की औ किसी अन्‍य शैतान की, तू तो सबका नया अवतार हुआ ।

उस्‍ताद समझता है तो आ सामने, हो दो दो हाथ तुझसे यूं छुप छुप के लड़ता है तो भरम दोस्‍ती का होता है, आ दुश्‍मन की तरह टकरायें वरना फिर न कहना कि तेरा  तो कत्‍लेआम हुआ ।

 

कहने को संभागीय मुख्‍यालय है शहर मुरैना लेकिन बिजली कटोती के हाल इतने बदतर कि महज तीन घण्‍टे ही शहरवासीयों को 24 घण्‍टे के दरम्‍यां मिलती है बिजली, न कोई सुनने वाला न कोई निराकरण करने वाला यहॉं वम्‍बल संभाग का कमिश्‍नर और मुरैना जिला का कलेक्‍टर दोनो ही बैठते हैं लेकिन जनता की समस्‍याओं से पूरी तरह नावाकिफ ये दोनो अधिकारी अपनी अपनी धींगामस्‍ती में मस्‍त हैं । गॉंवों के हाल तो और भी बदतर हैं गॉंवों में रबी की फसल जब सिंचाई के लिये तरस रही है तब उन्‍हें दो दिन में एक बार यानि 60 घण्‍टे में महज दो घण्‍टे बिजली आपूर्ति की जा रही है, अब फर्जी सरकारी दावों की पोल खोलती नीचे किसानों के साथ गुजारी एक रात की दास्‍तां हम यथावत यहॉं दे रहे हैं हालांकि इसमें चम्‍बल की ठेठ देहाती भाषा में बातें कहीं गईं हैं और कुछ गाली गलौज की भाषा भी किसानों द्वारा प्रयोग की गयी है लेकिन बात तो थी उसे साहित्यिक और परिष्कृत रूप देकर हम नहीं चाहते थे कि बात की तासीर या ग्रामीणों के आक्रोश का इजहार कमतर हो जाये । सो लिहाजा जो सच है हम बेबाक यहॉं दे रहे हैं, हमने ग्राम और ग्रामीणों के नाम यहॉं जानबूझ कर प्रकाशित नहीं किये हैं हम नहीं चाहते कि वे किसी भी राजनीतिक या सरकारी या अफसरी कोपभाजन के वे भोले भाले निर्दोष लोग शिकार हों । वक्‍त पड़ने पर हम सारी वार्ता साबित करने में सक्षम व समर्थ हैं ।

अभी लगे हाथ बताता चलूं कि मुझे चम्‍बल के कई गॉंवो का एक साथ दौरा करने को मिला , मेरे बचपन के कुछ ग्रामीण मित्रों ने मुझसे रात को एक गॉंव में हुये चौपाल पर चौगोला (यह काव्‍य की ग्रामीण लोक विधा है ) सम्‍मेलन में बैठने का आग्रह किया और अपने विचार उन्‍हे बताने तथा उनके विचार जानने की विनयपूर्ण आमंत्रण दिया । मैं हालांकि काफी थकावट महसूस कर रहा था लेकिन ग्रामीण दोस्‍तों (भई मैं स्‍वयं भी ग्रामीण परिवेश का हूँ मेरा जन्‍म चम्‍बल के गॉंव में हुआ, वही पला बढ़ा और थोड़ी बहुत पढ़ाई लिखाई भी गॉंव में की, गाय भैंस चराने से लेकर, हल जोतने और सभी किसानी कार्यों का मुझे लम्‍बा मैंदानी अनुभव है ये दीगर बात है कि बाद में उच्‍च स्‍तर तथा प्रायमरी माध्‍यमिक और अन्‍य शिक्षा दीक्षा ग्‍वालियर, भिण्‍ड और भिलाई दुर्ग, मुरैना आदि जगहों पर हुयी ) पर मेरे गॉंव का नाता अभी तक कायम है, मेरी पैतृक जमीन जायदाद खेती बाड़ी अभी कायम है सो गॉंव से नाता भी बदस्‍तूर कायम है तथा पुरानी रजवाड़ी, फिर जागीरदारी, जमीन्‍दारी भी रही है सो सारे रिश्‍ते अभी तक मुकम्‍मल कायम हैं)

अब अगर इन सब ऐतिहासिक बातों के कायम रहते तोमर राजपूत इस देश के अभिन्‍न अंग होकर न्‍यायप्रिय, क्रोधवान एवं मर मिटने की कूबत से संपन्‍न होकर अन्‍याय व अत्‍याचार के खिलाफ आवाज बुलन्‍द करने में सबसे आगे हैं और बगावत कर बागी बनते हैं तो इसमें न तो तोमरों का दोष है और न मेरा, यह इस वंश का स्‍वाभाविक लक्षण है, वंशगत तेज है, वाणी में ओजस्विता वंशगत है तो अपनी ऑंख के सामने अत्‍याचार देख कर ऑंखे बन्‍द करना तो किसी भी राजपूत के स्‍वभाव में नहीं होता किन्‍तु तोमरों को यह गुण विशिष्‍ट व प्रचुर रूप से मिला है, यही एक वजह है कि चम्‍बल में बगावत होती आयी है और बागी पैदा होते आये हैं , जब तलक अत्‍याचार, अन्‍याय और सरकार का अनसुनापन जारी रहेगा तब तक चम्‍बल में बागी पैदा होते रहेंगे इसमें कोई संशय नहीं है ।

अब अगर

सच कहना अगर बगावत है, तो समझो हम भी बागी है

यदा यदा हि धर्मस्‍य, तदात्‍मानं सृजाम्‍यहम् परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्‍कृताम, धर्म संस्‍थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ।।

(इसके अलावा देखें श्‍लोक संख्‍या 31 अध्‍याय 2, 38 अध्‍याय 2 तथा 43 अध्‍याय 18 श्रीमद्भगवद्गीता)  

गॉंव के किसानों के बीच रात को जब चौपाल पर चौगोला मण्‍डली जमी तो कई किस्‍से भोले भाले ग्रामीणों ने अपने ग्रामीण अंदाज में बता डाले मुझे कई चीजें जानकर हैरत हुयी और विचार करने पर मजबूर हो गया मसलन सुनिये उस रात की बातों के चन्‍द अंश, ऊपर लिखी शेर और मुक्‍तक नामक कविता भी मुझे एक ग्रामीण कवि ने सुनाई उनका नाम दिनकर सिंह तोमर था और वे सिंहोनयां के प्रतिष्ठित जमीन्‍दार परिवार (पूर्व सरपंच परिवार ) से ताल्‍लुक रखते हैं ।

'' काये आजकल्लि तिहाई सरकार का रहि है'' कछु फायदा तो दीख नाने रहो उल्‍टी मंहगाई बढि़ति जाय रही है''

दूसरे ने कहा कि सरकार का करेगी , चुनाव में खच्‍च करो है एक एक नेता कूं चुनाव लड़ायवे दो दो करोड़ रूपया पार्टीयन ने अपने अपने प्रत्‍याशीयन को दये हते, अब वा पैसा ए निकार रही है, शक्‍कर मंहगी, दार (दाल) मंहगी, साग (सब्‍जी) मंहगी जे सब पैसा वापस काढ़वे (निकालने) के इंतजाम हैं ।

वे फिर बोले तो ''काये तो जि सिबराजु काये ना कछ़ु कर रहो''

दूसरे ने कहा कर तो रहो है, बनियन की शक्‍कर पकरि लई, जब पकरी तब बातें पहले तऊ सस्‍ती हती बाने तब ते पकरी है तईं और जादा मंहगी करवाय दई । पकरीयई जईं के लईं हती ताते दाम और जादा बढि़ जाये और बनिया कछू कमाय लें, बनियन ने बऊये तो चन्‍दा दओ होगो सो कढ़वावेगो के नहीं । और फिर जा नरिन्‍दा कोऊं तों बनियन ने वोट दये हते सूनी है कि बनियन को भारी कर्रो चेला है, कमाई करवे वारे सिग कमाऊ पूत अधिकारी वाके चेला हैं, वाये जनता फनता ते कछु मतलब फतलब नानें , जब आवतु है तो नौटंकी सी करिकें चलो जातु है ।

बीच में एक और ग्रामीण टिप्‍पणी करता है कि हओ जोईं है सारो बातन ते करदे खुसी, मोंह (मुंह से) सो नहीं लगन दे भुसी (भूसा)

पहले वाले सज्‍जन फिर बोले पनहियन लायक है, सारे की जमान्‍त जप्‍त होगी, देखिये ये किस्‍सा उस जगह का है जो भाजपा के बरसों पुराने गढ़ रहे हैं और तोमर राजपूतों के दबदबे वाले ठीये हैं ।

चर्चा आगे बढ़ती है तब तक एक सज्‍जन हुक्‍का सुलगा लाते हैं, एक अन्‍य किसान बोलता है मार डारे सारेन ने, बिजली हति नानें , नहर आय नाने रही, खेत सूखि चले, अबकी में तो गेहूँ सरसो को कोऊ हिल्‍लो नानें । वो तो वोट ले कें दुबक के भजि गयो , अब गामन तन कों आवतु ऊ नानें । भई ते भजि जागो कभऊं कहेगो स्‍टेडियम बनवावेगो कभऊं कहेगो के अण्‍डरब्रिज बनवावेगो । जा मूसरसेटी ये जे पूछो के अम्‍बाह में ठौर कहॉं धरो है सो बनवावेगो स्‍टेडियम ।

दूसरा किसान तुरूप का पत्‍ता फेंकता है, बनवावेगो तिहाये हमाये खेत लेकें, बाने सिग ठाकुर नेता तो जिले ते खतम कर दये, कछू ठाकुर एनकाउण्‍टरनि में मरवाय डारे, अब बचे खुचेन के खेतन (खेतों को) लीलें (लीलना) चाहतु है ।

दूसरा किसान तड़ाक से बोलता है आवन देओ सारे ऐ घाट उड़ाय देंगे, आवेगो तो झईं अबकी औंधी सीधी दे तो डार लेओ सारें कों । और इतेक देओ के गैल भूल जाये ।

एक और नौजवान बीच में बोलता है जा सारे में तो दस दे और एक गिने ।

पर‍ि जे केन्‍द्र की सरकार का करि रई है जा सारे के झां तो छापो परनो चहीयें, एक वा मिसरा के झां जे सारे दोऊ बदमास हैं, एक तो पानी पी गयो पूरो फिर बिजली लील गयो, हमनि सुनी है कि इंजीनियर कालेज सोऊ चलाय रहो है, बड़ भारी कमाई करी है, दोऊ जने अरबन रूपय्यन के मालिक हैं गये हैं । छापो डरवाय दे केन्‍द्र वारें सोईं नप जागें दोऊ फीता लगाय के , के लला ला बताया कितेक कितेक कमाये हैं तैंने सारेन के लाकर होगें, करोड़न के माल कढ़ेंगे ।

दूसरा किसान बोलता है अये जिनके तो बिदेसन में खाते होंगे । अफसर बन गये जिनके राज में, चपरासीन के बंगला तन गये मोबाइल ने बतराउठे, कार ले ले कें चलाय रहे हैं ।

अब एकदम सब मुझसे मुखातिब होते हैं काय रे तू कैसो चुप्‍प बैठो है, कछू बोल्‍तु काये ना ।

मैंने कहा अब तुमई सिग कछु कहिवे चिपटे हो अब हम का कहें । हम तो जे कहि रहे हैं चुप्‍प रहू, पुरानी कहावत है कि ''रहिमन चुप है बैठिये देखि दिनन को फेर'' सो भईया हम तो चुप्‍प है , पर तुम जे सब बातें कहि रहे हो जे सब गैर कानूनी हैं अगर काऊये पतो लग गईं तो सिगते पहले तिहाओ एनकाउण्‍टर करवाय डारेगो ।

एक किसान गुस्‍से में खौल जाता है, अये तू तो कहेगो ही, तैंनेंई वाये वोट देवेके लईं कही हती सो अब रोय रहे हैं, दो दिना बाद बिजली आय रही है दो घण्‍टा के काजें हमनि पूछि हमनि पे का बीत रही हैं । जा जाय के कहि दीयो वाते हमाओ करवाय दे एनकाउण्‍टर, कटवाय दे मूसर । जाते तो रूस्‍तम तऊ ठीक हतो, भलेऊं गूजर हतो, सुनि तऊ लेतो भलेऊं कछू करतु नहीं हतो । जा तू हमनि फांसी चढ़वाय दीयो । बई बरेह के पीपरा पे ।

मैंने बात संभालते हुये कहा कि भई जे सब बातें गुस्‍से से नहीं ठण्‍डे दिमाग से भी तो हल हो सकतीं हैं, अब जो बिगड़ गया सो बिगड़ गया, आगे ठीक कर लेओ, आगें सो वाय वोट मत दीओ ।

दूसरा किसान और ज्‍यादा आक्राशित हो जाता है , का वोट मत दीओ बुआ वो कलेक्‍टर भ्रष्‍ट बैठो है, काऊये वोट दे अईयो पेटी खुलेगी तो बई के ई वोट कढ़वावेगो । सारे ने ठाकुरनि की तो सिगई सीट रिजरब कर दईं हैं, लेउ सारे हो कैसे लरोगे चुनाव । मैंने कहा कि भई अभी तो नगरपालिका के आरक्षण की प्रक्रिया हुयी है, ग्राम पंचायत की तो बाद में होगी, अभी कैसे कह सकते हो कि ठाकुरों की सीटें रिजर्व कर दी जायेंगी........

लगे हाथ मेरी बात पूरी होने से पहले ही किसान उखड़ता हुआ बोला कि अये लला हमनि सिग पतो है हमऊं नेकाध राजनीति जान्त हैं । नगरपालिका में तहॉं हरिजन हतई नाने ते सीटें हरिजन कर दई हैं , सारे ठाकुर बामन तो अब पारसद अध्‍यक्ष कितऊं बनई नानें सकतई, वो अपईं गैल के काटें झार रहो है । वाने सिग ठाकुर बामननि की गैल बन्‍द कर दईं हैं और देखि लीयो हमऊं चैलेन्‍ज ते कहि रहे हैं, सारो पंचायतिन में ऊ जिई करेगो । सिग ठाकुर बामननि ए घर बैठारेगो । और तऊ एकाध कितऊं ते लरेगो तो सरकार बाई की है लबरई ते मशीनन में तो और पेटीन में तो बई के वोट कढ़ेंगे ।

मैंने आगे बहस उचित नहीं समझी और नहंद आने का बहाना करके खिसक कर अपने पलंग पर जा लेटा ।

लेकिन ग्रामीणों की उन बातों ने मुझे झिझोड़ कर रख दिया । उनकी समझ और तर्कों के आगे मैं खुद को काफी बौना महसूस कर रहा था । 

शनिवार, अक्तूबर 17, 2009

मुरैना के बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी और कूटरचित बिल बनाने के और मामले दर्ज

मुरैना के बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी और कूटरचित बिल बनाने के और मामले दर्ज

मुरैना 14 अक्‍टूबर 09, मुरैना विद्युत वितरण कम्‍पनी के और भी कई आला अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी कर कूट रचित विद्युत बिल दिये जाने के और भी कई गंभीर मामले भारत सरकार के उपभोक्‍ता मंत्रालय के तहत कार्यरत कोर सेण्‍टर एवं पुलिस को दर्ज कराने हेतु प्राप्‍त हुये हैं , प्रकरण प्रथम दृष्‍टया सही पाये जाने से इन्‍हें दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है फिलहाल इनका इन्‍वेस्‍टीगेशन भी एडवोकेट नरेन्‍द्र सिंह तोमर द्वारा तैयार करके रिपोर्ट तैयार की गयी है । यह रिपोर्ट भी सी.बी.आई. एवं आर्थिक अन्‍वेषण ब्‍यूरो की ओर वरिष्‍ठ अभिभाषक पदम चन्‍द गुप्‍ता के प्रकरण के साथ भेजी जा रही है । प्रकरण की शिकायत ऑनलाइन महामहिम राष्‍ट्रपति एवं प्रशासनिक सुधार मंत्रालय को भी की जा रही है ।

ग्‍वालियर टाइम्‍स द्वारा खबर लिखे जाने तक मुरैना विद्युत वितरण कम्‍पनी के एस.ई. एस.के.सचदेवा, डी.ई. आर.के.गुप्‍ता, ए.ई. पी.के.शर्मा के कार्यालयीन फोनों पर तथा मोबाइल फोनों पर कई फोन लगाये गये लेकिन अधिकारीयों के फोन नाट रिस्‍पाण्डिंग आ रहे थे ।

 

सोमवार, अक्तूबर 12, 2009

उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो फर्जी बिजली चोरी का केस बना डाला, बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी का आपराधिक प्रकरण दर्ज

उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो फर्जी बिजली चोरी का केस बना डाला, बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी का आपराधिक प्रकरण दर्ज

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

मुरैना 10 अक्टूबर 09, बिजली देने को नहीं और बिल आसमान से टपक कर तीन गुने और चार गुने आते किस्से तो मुरैना में रोजाना ही सैकड़ों सुनने को मिलते हैं, बिजली नहीं मिलने की शिकायत करने वालों पर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करा कर जनता की शिकायती आवाज दबा कर बोलती बन्द कराना यह किस्से भी सैकड़ों मुरैना में सुनते आये हैं ! चलो एक आम बात है सरकार की दादा गिरी है, जनता गरीब की लुगाई है सो सरकारी भौजाई है चाहे जैसे मसलो, कुचलो, कूटो पीटो !

हर चीज की इन्तिहा होती है, असली ट्रान्सफार्मर मोहल्लों से उखाड़ कर कारखानों को बेच दिये, चोरी के राजस्थानी और चम्बल के ग्रामीण क्षेत्रों से चुराये ट्रान्सफार्मरों पर रंग रोगन कर बिजली वालों को मोहल्लों में खपाते भी सैकड़ो बार हमने देखा, मरे मराये ट्रान्सफार्मरों को भी संघर्ष करते और बार बार दम तोड़ते तथा उनकी मरम्मत के नाम पर सैकड़ों फर्जी बिल बनते देखे हैं ! बिजली वालों को लोड चेकिंग के नाम पर जनता को हड़काते भी देखा, सब कुछ देखा पर अंत तो रावण का भी हुआ कंस का भी और दुर्योधन का भी आखिर महिषासुर का भी !

आखिर वक्त उनका भी आ गया और वे शहर के एक वरिष्ठ अभिभाषक से पंगा ले बैठे ! वकील साहब ईमानदारी से बिजली कनेक्शन लेकर ईमानदारी से बिल भुगतान करने वाले आदमी थे, लेकिन अपनी लपक पड़ी हुयी बुरी आदत के चलते बिजली वाले उनसे भी रिश्वत मांग बैठे, गोया तुर्रा ये कि वकील साहब के बिजली कनेक्शन के साथ न्यूट्रल वायर देना बिजली कम्पनी वालों को रास नहीं आया, अब देखें बिजली का कैसे उपयोग करेंगें वकील साहब ! बेचारे वकील साहब ने सैकड़ों हजारों अनुनय विनय बिजली साहबों से लिखित और मौखिक कर डालीं पर ससुरा मेरा टेसू झईं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा, वाली तर्ज पर 5000 रू. ठोक के रिश्वत मांगते रहे पठठे बिजली वाले, नही तो न्यूट्रल नहीं देंगें ! वकील साहब को इस दरम्यान बिजली के बिल भी मिलते रहे, और भुगतान भी होते रहे ! आखिर कार वकील साहब ने अपनी शिकायत मुरैना जिला उपभोक्ता फोरम में करके न्यूट्रल वायर दिये जाने की गुजारिश की !

जैसे ही उपभोक्ता फोरम का नोटिस बिजली वालों को मिला बिजली वालों की भवें रावण की तरह वक्राकार और ऑंखें रेड रोजी हो गयीं, बिजली वालों ने अपने वकील साहब को लम्बी चोड़ी मलाई चटाई (काफी समय से चटा रहे हैं) और पूछा हे प्रभु लालबुझक्कड़ जे साला उपभोक्ता तो वकील है और टेंशन कर रिया है, जाको का इलाज है, बिजली वालों के वकील साहब बोले लेओ कर लेओ बात, लाल बुझक्कड़ बुझ के फिर न बूझो कोय, लोड चेक के नाम पे चोरी केस कर देयो !

बिजली वाले लपक के गये, भूल गये कि मामला पहले से अदालत में है और चलती सुनवाई में किसी साक्ष्य को छेड़ना या बिगाड़ना या खत्म करना अपराध होवे है , ससुरी अदालत और कानून की ऐसी तैसी करके खेंच के एक अंग्रेजी की बोतल में फर्जी पंचनामा तैयार कर डाला और पंचनामा जो विद्युत अधिनियम की किसी एक धारा (126/135/138) में बनाना था ससुरा तीनों धाराओं में एक साथ ठोक दिया, अपनी टेबल पर बैठे पंचनामा तैयार करने का मजा ही कुछ और होता है, हालांकि अधिनियम के मुताबिक उपभोक्ता को आपत्ति करने के लिये 7 दिन का समय भी देना पड़ता है और सक्षम उच्च अधिकारी के यहाँ यह आपत्ति उपभोक्ता द्वारा करनी होती है , इस मामले में करिश्मा यह किया गया कि उपभोक्ता को कानों कान खबर न हुयी और उसके खिलाफ पंचनामा बना कर बिजली चोरी का मामला बनाने का पूर्व नियोजित षडयंत्र वकील साहब बिजली वाले की टेबल पर बैठ कर रच लिया गया तथा बिजली घर की टेबल पर इसे अंजाम भी दे दिया गया !

बिजली वाले वकील साहब और बिजली वाले अफसर बस जरा सी चूक यह कर गये कि उपभोक्ता के उपकरणों के नाम गलत लिख गये और उनकी वाटेज खपत भी गलत लिख गये, हालांकि विद्युत अधिनियम में उपकरण के नाम के साथ उसकी वाटेज खपत की सारणी दी हुयी है , पर नशा तो नशा है चाहे पद में मगरूर अफसरी का हो या बोतल का या किसी हसीना के मोहपाश में फंसे किसी दिलफेंक का ! पूरे 28 हजार 500 रूपया का चोरी का केस वकील साहब पर ठोक दिया और पंचनामे में लिख दिया कि वकील साहब ने दस्तखत करने से इंकार किया प्रतिरोध के कारण जप्ती नहीं हो सकी ! इंजीनियर साहब को वकील साहब ने अपने प्रीमाइसेज में घुस जाने दिया और वहाँ के बर्तन भांड़े भी दिखा डाले लेकिन फिर भी प्रतिरोध किया कागज पर दस्तखत से इंकार किया है न मजे की बात, यानि दो विरोधाभासी बातें जो कानून में कभी एक साथ नहीं होतीं पर इंजीनियर साहब ने कर डालीं यानि पूरा घर बेहिचक टटोल आये उसका प्रतिरोध वकील साहब ने नहीं किया पर फिर भी वकील साहब ने प्रतिरोध किया ! जबकि सच यह था कि वकील साहब वहाँ पिछले कई साल से रहते ही नहीं थे और यह प्रीमाइसेज कई सालों से किसी अन्य पर किराये पर था और म.प्र. सरकार इस प्रीमाइसेज का हर साल निरीक्षण करके बाकायदा मौका मुआयना करके एक रिपोर्ट जारी करती चली आ रही है वह भी बाकायदा सरकारी कागज पर सील सिक्के लगा कर ! यानि प्रीमाइसेज वकील साहब पर नहीं बल्कि किसी और पर था ! फिर भी केस वकील साहब पर ही ठोक दिया कसूर यह था कि कई साल पहले वकील साहब वहाँ रहते थे ! यह भी मजे की बात रही कि 5000 रू तक के मामलों की सुनवाई मुरैना में ही वरिष्ठ अधिकारी कर सकते हैं लेकिन उससे ऊपर के यानि 28 हजार का मामला कानून के मुताबिक ई.डी./चीफ इंजीनियर साहब ही सुन सकते हैं लेकिन फर्जी पंचनामा बनाते बनाते इंजीनियर बिजली जूनियर इंजीनियर ने सभी वरिष्ठ अधिकारीयों को ठेंगा दिखाते हुये स्वयं पंचनामा बनाने वाले जूनियर इंजीनियर ने खुद के यहाँ ही सुनवाई की तारीख ल्रगा कर ठोक के जालसाजी और कूटरचना कर डाली ! इसमें एक पूर्व कार्यपालन यंत्री भी शामिल था !

वकील साहब द्वारा उपभोक्ता फोरम में चल रही सुनवाई में इसे सबसे पहले जालसाज इंजीनियरों ने वकील साहब को चोर बताते हुये उनका प्रकरण खारिज कराने के लिये कूटरचित प्रतिवेदन और जालसाजी से तैयार दस्तावेजों का उपयोग किया किन्तु उपभोक्ता फोरम में यह फर्जीवाड़ा उनके काम नहीं आ सका उपभोक्ता फोरम ने वकील साहब को तुरन्त न्यूट्रल वायर दिये जाने और उपभोक्ता अदालत में मामला आने के बाद चोरी का केस बनाये जाने से फर्जीवाड़ियों के मंसूबे नाकामयाब कर दिये ! उपभोक्ता फोरम में जवाब देने से पूर्व जालसाजों और कूटरचियों ने अपना केस और जवाबदावा पुख्ता बनाने के लिये वकील साहब के खिलाफ इस्तगासा लगा कर सेशन कोर्ट में केस भी चालू करा दिया था ! यानि दो दो बार दो अदालतों में जाली कूटरचित दस्तावेज ठोक के इस्तेमाल किये गये ! सेशन अदालत ने भी जाली व कूटरचित दस्तावेजों की जाँच कराने, विद्युत अधिनियम के प्रावधानों का पूर्णत: पालन हुये बगैर बिना पूर्व परीक्षण न केवल केस को अदालत में पंजीकृत कर लिया बल्कि बिना किसी कार्यवाही के बिना इस्तगासा की अवाश्यकतानुसार गवाही बयान या परीक्षण के सीधे उपभोक्ता पर चार्ज फ्रेम कर डाले एवज में जज साहब को दो लाख रूपये का अप्रत्यक्ष लाभ जिसमें नकदी 30 हजार रू. शामिल है का लाभ फर्जीवाड़ियों ने पहुँचा दिया और जज साहब अंधे होकर कानून की मंशा और चाल से सर्वथा परे सुनवाई में तथा हर तारीख पर उपभोक्ता को हृास कर निरूत्साहित व गरियाने में लगे रहे !

मामला अंतत: मेरे पास आया और लगभग पूरे 60 दिन की दिन रात की इन्वेस्टीगेशन से मैं खुद भौंचक्का रह गया और इस प्रकार का मामला जिसमें इंजीनियर, सरकार, और अदालत सभी शामिल हैं के बारे में आये निषकर्षों व साक्ष्यों ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिये ! जैसे जैसे इन्वेस्टीगेशन आगे बढ़ा और भी कई हैरत अंगेज राज खुलते चले गये हालांकि अन्य केसों को मैंने अपनी इन्वेस्टीगेशन में शामिल नहीं किया लेकिन जो राज सामने आये वे इतने खतरनाक हैं कि मुरैना में भारी गड़बड़ी की ओर सीधा संकेत देते हैं और यह गड़बड़ वकील, पुलिस और अदालतों तक अपनी जड़ें पेवस्त किये हुये है, जिसका खुलासा फिर आगे कभी करूंगा लेकिन हमारे देश व लोकतंत्र के बदनुमा दाग हमारे आस पास ही हैं और घुन की तरह देश को खोखला बनाने में जुटे हैं !

पुलिस का कानून पालन - कानून की ऐसी तैसी

इस मामले में अपनी इन्वेस्टीगेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मैंनें फरियादी वकील साहब को तत्काल कानूनी कार्यवाही करने की सलाह दी और वकील साहब ने मेरी सलाह के मुताबिक एक एफ.आई.आर. सिविल लाइन्स पुलिस थाने को 24 सितम्बर को दी थाने द्वारा इसकी पावती भी वकील साहब को दी गयी लेकिन दूसरे दिन दोबारा थाने बुलाया गया, वकील साहब साथ में मुझे भी ले गये मैंने पूरे केस को पुलिस के सामने तड़ातड़ एक्सप्लेन और प्रूव भी कर दिया , लेकिन मेरे सामने ही पुलिस पुलिस न रही और अदालत बन गयी (किस केस को दर्ज करना है किसको नहीं यह पुलिस की मर्जी है, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा में पुलिस को केस दर्ज करने हेतु चयन का अधिकार नहीं है) मगर पुलिस केस का चयन करती है कि केस रजिस्टर करना है कि नहीं, मैंने अंग्रेजो की जमाने की पुलिस सन 2009 में मुरैना में देखी हालांकि आगे की कानूनी प्रक्रिया भी मैंनें चेक करवाने के लिये दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 (3) के तहत पंजीकृत डाक द्वारा 26 सितम्बर को मुरैना पुलिस अधीक्षक को भिजवाया मगर हैरत अंगेज रूप से वहाँ भी दण्ड प्रक्रिया संहिता की यह धारा कचरे की टोकरी में फेंक दी गयी, यानि सौ बातों की एक बात नो कानून, नो पालन, मनमर्जी मुताबिक मुरैला पुलिस खुद ही अदालत बन कर फैसला करती है कि किस केस का क्या करना है ! जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस सम्बन्ध में कई सख्त रूलिंग दी हैं मगर उसकी रूलिंग मुरैना आकर निष्प्रभावी हो जातीं हैं !

अंतत: यह प्रकरण 8 अक्टूबर को म.प्र. पुलिस महानिदेशक एस.के. राउत के यहाँ इण्टरनेट के जरिये क्रमांक Morena/1615/2009 पर पंजीबध्द किया गया ! अब देखते हैं इसमें आगे क्या होता है, फिलहाल इस प्रकरण का काफी हिस्सा लम्बे चौड़े आर्थिक अपराध , भ्रष्टाचार, अनुपात हीन संपत्ति, गबन और रिश्वत तथा उच्च अधिकारीयों व पुलिस एवं न्यायालय से जुड़ा होने के कारण आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो म.प्र. तथा सी.बी.आई की ओर भी जा रहा है, देखते हैं वहाँ भी क्या होता है तथा फरियादी वकील साहब म.प्र. उच्च न्यायालय में इसे दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में भी ग्वालियर में प्रस्तुत करने जा रहे हैं देखते हैं उच्च न्यायालय इस सम्बन्ध में क्या आदेश जारी करते हैं !

फरियादी द्वारा प्रस्तुत प्रथम सूचना रिपोर्ट नीचे यथावत प्रस्तुत है जो कि सिविल लाइन थाना मुरैना में 24 सितम्बर को तथा 26 सितम्बर को एस.पी. मुरैना को भेजी गयी किन्तु कायम नहीं होने पर पुलिस महानिदेशक के यहाँ दर्ज कराई गयी !           

 

प्रति,

     श्रीमान थाना प्रभारी महोदय,

      थाना सिविल लाइन्स मुरैना

 

विषय :- अधोवर्णित आरोपीगण के विरूध्द जालसाजी, कूटरचना, भ्रष्टाचार, अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने, पद का दुरूपयोग कर धमका कर अवैध धन वसूलने हेतु बाध्य करने, फर्जी व कूटरचित दस्तावेज रचने, मिथ्या साक्ष्य गढ़ने एवं उसका उपयोग तथा न्यायालयों व न्यायायिक प्रक्रम में उपयोग कर प्रार्थी को क्षति पहुँचाने के मामलों में आरोपीयों को कठोर दण्ड दिलाये जाने हेतु अपराध पंजीबध्द कर कार्यवाही करने बावत् !

 

महोदय,

         विषयान्तर्गत प्रार्थी की प्रथम सूचना रिपोर्ट निम्न प्रकार है -

फरियादी आवेदक का विवरण -

1-                     नाम - पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट

2-                    उम्र -  59 वर्ष

3-                    पता- पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट, पुत्र श्री नत्थी लाल गुप्ता, शिवा धर्म कांटा, गाँधी कुआ के पास, ए.बी.रोड ग्वालियर साइड मुरैना हाल- राठी काम्पलेक्स, एम.एस. रोड मुरैना

आरोपीगण का विवरण -

1-                      भागीरथ प्रसाद गोयल, आयु 39 वर्ष लगभग, पुत्र अमरलाल गोयल निवासी कैलारस जिला मुरैना हाल निवासी - भवन क्रमांक- HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना, एवं पदस्थ जूनियर इंजीनियर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना ! 

2-                     महेन्द्र भास्कर, लाइन हैल्पर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना !

3-                     आर.के.एस.राठौर, पूर्व कार्यपालन यंत्री, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना !  

4-                     जण्डैल सिंह, लाइन हैल्पर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना ! 

5-                     श्रीमती ममता गोयल पत्नी भागीरथ प्रसाद गोयल, आयु 37 वर्ष लगभग, निवासी कैलारस जिला मुरैना हाल निवासी - भवन क्रमांक- HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना

 

अपराध एवं घटना का विवरण -

1-                        प्रार्थी फरियादी शहर मुरैना के प्रतिष्ठित परिवार से संबध्द होकर, शांतिप्रिय, स्वच्छ छवि का नागरिक प्रतिष्ठित एडवोकेट एवं जिला अभिभाषक संघ मुरैना का पूर्व सचिव है, आरोपीगण द्वारा प्रार्थी का उत्पीड़न किये जाने, अवैध धन वसूली के लिये धमकाने, बाध्य करने तथा विद्वेष पूर्वक प्रताड़ित एवं अपमानित किये जाने, फर्जी व कूट रचित कार्यवाहियाँ कर प्रार्थी की छवि को नुकसान पहुँचा कर मिथ्या कूटरचित, फर्जी एवं मनगढ़न्त साक्ष्यो व दस्तावेजों के आधार पर न्यायालयीन मुकदमे बाजी में फंसा कर बदनाम करने, प्रार्थी द्वारा पूर्व से संचालित व संस्थित आरोपीगण के विरूध्द न्यायालयीन प्रकरण को प्रभावित कर प्रार्थी के प्रकरण को हानि पहुँचा कर न्यायालय की राय बदलने हेतु मिथ्या साक्ष्य रच कर उसका न्यायालय में उपयोग कर प्रार्थी को न्याय प्राप्ति से वंचित करने व ख्याति की अपहानि कर अवैध धन वसूली हेतु मजबूर करने, आरोपीगण द्वारा भ्रष्टाचार कर अनुपातहीन अवैध संपत्ति अर्जित कर शासन की छवि खराब कर आम नागरिकों का शोषण एवं उत्पीड़न कर, ब्लैकमेलिंग कर अनावश्यक एवं अनुचित रूप से पद व कानून का दुरूपयोग कर प्रार्थी का उत्पीड़न, प्रताड़ना, शोषण व ख्याति की अपहानि की गयी है जिसके समस्त दस्तावेजी साक्ष्य संलग्न है !

2-                       प्रार्थी फरियादी द्वारा आरोपीगण के विरूध्द प्रार्थी के वैध विद्युत कनेक्शन क्रमांक 0484403-31-30-00079365 Single Phase- Non Domestic. पर कनेक्शन प्रदाय एवं प्रारंभ दिनांक से ही आरोपीगण एवं इनके अन्य आपराधिक साथी सहयोगियों द्वारा प्रार्थी के कनेक्शन पर न्यूट्रल वायर उपलब्ध न कराये जाने से प्रार्थी विद्युत उपयोग से वंचित रहा जबकि आरोपगण्ा व उनके अन्य आपराधिक सहयोगी साथी भलीभांति जानते थे कि फेज वायर के साथ न्यूट्रल वायर न होने से विद्युत परिपथ नहीं बनता और यह परिपथ पूर्ण बन्द परिपथ नहीं कहलाता एवं उपभोक्ता के लिये अप्रयोज्य (Useless) व अर्थहीन तथा निरूददेश्य होकर व्यर्थ व अप्रयोगी रहता है ! प्रार्थी द्वारा बार बार अनेक बार आरोपीगण व उनके अन्य आपराधिक साथी सहयोगियों से अनुरोध एवं विनय मौखिक तथा लिखित तौर पर की गयी, प्रार्थी ने कई बार आरोपीगण एवं उनके सहयोगियों की सेवा सुश्रूषा आवभगत आर्थिक रूप से व अन्य प्रकार से की किन्तु आरोपीगण द्वारा प्रार्थी से रिश्वत रू. 5000 नकद आरोपी भागीरथ प्रसाद गोयल, जण्डैल सिंह एवं महेन्द्र भास्कर द्वारा मांगे जाते रहे और धमकाया जाता रहा कि अगर पैसे नहीं दोगे तो न न्यूट्रल वायर दिया जायेगा न बिजली उपयोग कर पाओगे ! साथ ही आरोपीगण व इनके अन्य आपराधिक सहयोगी साथियों द्वारा प्रार्थी फरियादी को निरन्तर विद्युत बिल दिये जाते रहे और प्रार्थी से बिना सम्यक व निर्धारित क्षमता बिजली प्रदाय व उपयोग के जबरन डरा धमका और बाध्य कर बिजली बिल वसूले जाते रहे ! अंतत: लम्बे समय तक आरोपीगण द्वारा प्रार्थी को दी गयी पीड़ा, उपेक्षा, प्रताड़ना व शोषण, भ्रष्टाचार, फर्जी कार्यवाहीयों की धमकी, बिना समुचित, सम्यक व निर्धारित बिजली प्रदाय किये जाने, सम्यक पूर्ण बन्द विद्युत परिपथ (Closed Electric Circuit) उपलब्ध कराये बिना जबरन बिल वसूली किये जाने से व्यथित एवं त्रस्त होकर प्रार्थी ने एक शिकायत दिनांक 27 सितम्बर 2008 को न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर विधिक तौर पर न्याय प्राप्ति हेतु काय्रवाही प्रारंभ की ! न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम मुरैना में प्रार्थी द्वारा संस्थित एवं संचालित कार्यवाही के दरम्यान ही प्रकरण के साक्ष्य नष्ट करने, साक्ष्य विरूपित करने, विलोपित करने के उददेश्य से प्रार्थी द्वारा न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष दायर शिकायत की न्यायायिक कार्यवाही को प्रभावित किया गया और विद्वेषपूर्वक प्रार्थी फरियादी को न्याय एवं पूर्ण न्याय प्राप्ति से वंचित करने हेतु कई फर्जी कार्यवाहीयॉ सम्पादित कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी जॉच प्रतिवेदन जालसाजी कर तैयार कर दिया और विद्युत अधिनियम की धारा 126/135/138 के अन्तर्गत संयुक्त धाराओं में कूटरचित कर मिथ्या साक्ष्य रच कर प्रार्थी द्वारा न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम में प्रस्तुत शिकायती वाद को क्षति पहुँचाने, प्रार्थी को न्याय व पूर्ण न्याय प्राप्ति से वंचित करने, न्यायालय को गलत राय कायम करने हेतु प्रेरणार्थ तथा प्रार्थी से बदला लेने, डरा धमका कर कर प्रकरण वापस लेने हेतु बाध्य करने, प्रार्थी को फर्जी मुकदमेबाजी में फंसा कर प्रताड़ित, शोषण व उत्पीड़न, अपमानित कर प्रार्थी की छवि खराब करने के उददेश्य से विद्वेष व शरारत पूर्वक उसका न्यायालय में उपयोग किया ! सभी दस्तावेजी साक्ष्य संलग्न है ! 

3-                       आरोपीगण द्वारा लोगों का डरा धमका कर अपने पद का दुरूपयोग कर ब्लेकमेलिंग व विद्युत अधिनियम व अन्य संगत कानूनों का दोषपूर्ण दुरूपयोग कर अवैध धन ऐंठने, रिश्वत वसूलने भ्रष्टाचार पूर्वक जनता का विद्युत उपभोक्ताओं का शोषण करने व हफ्ता व मासिक अवैध धन किश्त वसूली के आधार पर प्रतिमाह लाखों रूपये की विद्युत चोरी करवा कर विद्युत चोरों से सांठ गांठ कर शासन को राजस्व क्षति पहुँचाने, विद्युत बिल नियमित अदा करने वाले ईमानदार नागरिकों को विद्युत प्रदाय न करने, नियमित विद्युत प्रदाय न करने, उनकी सतत विद्युत आपूर्ति में विघ्न व बाधायें उत्पन्न करने, अनियमित वोल्टेज तथा वोल्टेज फ्लक्च्येशन्स के जरिये ईमानदार विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत उपकरणों को, भवनों को, जान जीवन व संपत्ति को क्षति पहुँचाने को अपना व्यवसाय बना रखा है और इस प्रकार आरोपीगण द्वारा लम्बे समय से अपनी आपराधिक व गैर कानूनी षडयंत्र मण्डली द्वारा षडयंत्र पूर्वक काफी गैर कानूनी संपत्ति व ब्लैक मनी अनुपात हीन रूप से अर्जित की गयी है ! तथा अपात्र एवं तुलनात्मक तौर पर क्रय शक्ति विहीन होकर भी कई अचल संपत्तियों के बयनामे (रजिस्ट्री) तथा बैंक बैलेन्स, एफ.डी., शेयर मार्केट, वायदा व्यापार में स्वयं के तथा आने परिवारीजनों व सम्बन्धियों एवं रिश्तेदारों के नाम से व अज्ञात व नकली नामों से करा कर लगा रखे हैं ! दस्तावेजी साक्ष्य मय भवन क्रमांक HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना की रजिस्ट्री क्रमांक 659 दिनांक 28 मई 2008 की रजिस्ट्री की प्रति संलग्न है ! आरोपीगण द्वारा मुरैना के अधीक्षण यंत्री कार्यालय से निकट सटे स्टोर से लाखों रू. के विद्युत उपकरण एवं सामान बाजार में एवं प्रायवेट औद्योगिक व व्यावसायिक उपभोक्ताओं को अवैध रूप से चोरी कर विक्रय कर दिया तथा लाखों रू. विद्युत वितरण कम्पनी के हक से छीनकर अवैध सम्पत्ति अर्जित की, जिस पर मुख्य अभियन्ता द्वारा माह सितम्बर 2009 में औचक जाँच पड़ताल की गयी ! दस्तावेजी साक्ष्य ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ''स्वदेश'' की सम्बन्धित प्रकाशित समाचार ''मुख्य अभियन्ता ने किया बिजली घर के स्टोर का निरीक्षण'' के मुख्य शीर्षक एवं स्टोर से चोरी की शिकायत होने पर हुआ निरीक्षण तथा एक सुपरवायजर के हवाले है उक्त स्टोर के उपशीर्षको से प्रकाशित इस समाचार पत्र की दिनांक 11 सितम्बर 2009 की प्रति संलग्न है !    

अत: उपरोक्तानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत कर श्रीमान से अनुरोध है कि उक्त वर्णित आरोपीगण एवं इनके अन्य आपराधिक साथियों सहभागीयों के विरूध्द आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर दण्ड दिलाये जाने हेतु कार्यवाही की जावे ! धन्यवाद !

 

दिनांक 23 सितम्बर 09

 

संलग्न दस्तावेजी साक्ष्य सूची

1-                      जिला उपभोक्ता न्यायालय मुरैना में मुझ फरियादी द्वारा प्रस्तुत शिकायती आवेदन दिनांक 27 सितम्बर 2008 की प्रति !

2-                     बिना मौका पहुँचे, बिना किसी अपेक्षा, बिना सम्यक व उचित आदेश के प्रार्थी के विरूध्द आरोपीगण द्वारा बनाये गये फर्जी पंचनामा (अवैधतत: संयुक्त एक साथ तीन धाराओं 126/ 135/ 138 तहत विद्युत अधिनियम 2003) दिनांक 20 अक्टूबर 2008 की प्रति !

3-                     फर्जी व अवैध तैयार पंचनामा 20 अक्टूबर 2008 का जिला उपभोक्ता न्यायालय में प्रार्थी के प्रकरण को प्रभावित करने व न्यायालय की गलत राय कायमी हेतु न्यायायिक प्रक्रिया में न्यायालय में उपयोग किये जाने सम्बन्धी जवाब उल्लेख की प्रति !

4-                     प्रार्थी स्वयं एवं बीरबल कुशवाह का शपथ पत्र दिनांक 15 दिसम्बर 2008 की प्रतियाँ !

5-                     आरोपीगण द्वारा फर्जी व अवैध तैयार पंचनामा दिनांक 20 अक्टूबर 2008 का प्रार्थी को समस्त क्षतियाँ कारित करने, डराने धमकाने, ब्लैकमेल करने और जिला उपभोक्ता फोरम से प्रकरण वापस लेकर न्याय प्राप्ति से वंचित करने तथा प्रार्थी के विरूध्द विद्युत चोरी का फर्जी प्रकरण बनाकर प्रताड़ित करने हेतु न्यायालय श्रीमान विशेष न्यायालय विद्युत अधिनियम एवं द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुरैना के न्यायालय में न्यायायिक प्रक्रिया में उपयोग किया !

6-                     न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम का प्रार्थी आवेदक के समर्थन में पारित आदेश दिनांक 07 जनवरी 2009 !

7-                      पंजीयत विक्रय पत्र क्रमांक 659 भवन क्रमांक HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना की रजिस्ट्री क्रमांक 659 दिनांक 28 मई 2008 की रजिस्ट्री की प्रति !

8-                     प्रार्थी आवेदक के यहाँ इन्स्टाल्ड कम्प्यूटिंग इण्टेलीजेण्ट टर्मिनल (इण्डस्ट्रियल टर्मिनल) सिस्टम बॉक्स का निर्माता कम्पनी द्वारा प्रदत्त मैन्युअल और कॉन्फिगरेशन्स तथा फीचर्स प्रपत्र की छाया प्रति जिसमें आरोपीगण द्वारा तैयार फर्जी पंचनामा में लिखित, कूटकृत, कूटगढ़ित व कूटरचित वाटेज खपत 250 वाट, दिनांक 20 अक्टूबर 2008 से सर्वथा भिन्न वॉटेज खपत प्रदर्शित है !

9-                     समाचार पत्र दैनिक भास्कर में शीर्षक ''कालोनी का ट्रांसफार्मर फैक्ट्री में'' प्रकाशन दिनांक 14 मई 2009 की छाया प्रति !

10-                  ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ''स्वदेश'' की सम्बन्धित प्रकाशित समाचार ''मुख्य अभियन्ता ने किया बिजली घर के स्टोर का निरीक्षण'' के मुख्य शीर्षक एवं स्टोर से चोरी की शिकायत होने पर हुआ निरीक्षण तथा एक सुपरवायजर के हवाले है उक्त स्टोर के उपशीर्षको से प्रकाशित इस समाचार पत्र की दिनांक 11 सितम्बर 2009 की प्रति !

 

दिनांक 23 सितम्बर 2009      

प्रार्थी / फरियादी

पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट 

पुत्र श्री नत्थी लाल गुप्ता,

शिवा धर्म कांटा, गाँधी कुआ के पास,

ए.बी.रोड ग्वालियर साइड मुरैना

 हाल- राठी काम्पलेक्स, एम.एस. रोड मुरैना

 

 

गुरुवार, सितंबर 17, 2009

कार्यपालन यंत्री अतिबल सिंह यादव निलंबित

कार्यपालन यंत्री अतिबल सिंह यादव निलंबित 

ग्वालियर दिनांक 16.09.2009& न्यायालयीन प्रकरणों में समय पर जबाब दावा प्रस्तुत नहीं करने के लिये निगमायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा द्वारा आज विद्युत विभाग के कार्यपालनयंत्री अतिबल सिंह यादव को मेयर-इन-कांउसिल की पुष्टि की प्रत्याशा में निगम सेवा से निलंबत कर दिया। निलंबित अवधि में इनका मुख्यालय निगम मुख्यालय होगा तथा श्री यादव के निलंबन के परिणामस्वरूप देवी सिंह राठौर प्रभारी सहायकयंत्री, कार्यपालनयंत्री का कार्य सम्पादित करेंगे।

       श्री यादव के द्वारा विधि शाखा नगर निगम ग्वालियर द्वारा आदेश दिनांक 03.11.07 द्वारा श्रम न्यायालय क्र.-1 ग्वालियर में प्रचलित प्रकरण क्र. 58/ए/06 आई.डी. एक्ट नगर निगम औद्योगिक कर्मचारी संघ बनाम आयुक्त नगर निगम ग्वालियर मेें तात्कालीन कार्यशाला प्रभारी होते हुये प्रकरण में जबाब दावा प्रस्तुत नहीं किया था।

       निगमायुक्त द्वारा सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि यदि किसी अधिकारी द्वारा जबाबदावा समय पर प्रस्तुत नहीं करने तथा सही जबाब प्रस्तुत नहीं करने पर न्यायालय में निगम के प्रकरण में विपरीत स्थिति उत्पन्न होती है तो संबंधित अधिकारी के विरूद्व कठोर कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी।

 

मंगलवार, सितंबर 08, 2009

विशेष लेख : ऊर्जा - राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना - ग्रामीण क्षेत्रों में नया उजाला

विशेष लेख : ऊर्जा - राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना - ग्रामीण क्षेत्रों में नया उजाला

         ग्रामीण विद्युतीकरण को ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिये एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम माना जाता है। यह अब सहज स्वीकार्य है कि बिजली अब एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता बन चुकी है और प्रत्येक घर में बिजली की सुविधा होनी ही चाहिए। ग्रामीण भारत में, व्यापक प्रभाव वाले आर्थिक और मानव विकास हेतु विद्युत आपूर्ति की आवश्कयता है। राष्ट्रीय विद्युत नीति में ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली देने की बात कही गई है। ग्रामीण विद्युतीकरण्ा नीति का उद्देश्य सभी घरों में बिजली की सुविधा प्रदान करना है।

 

       ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा को अब और सख्त बना दिया गया है ताकि किसी गांव को विद्युतीकृत घोषित करने के पूर्व पर्याप्त विद्युतीय अधोसंरचना की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। जनगणना 2001 के अनुसार देश में करीब 1.2 लाख गांवों में बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

 

       राज्यों द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण की मंथर गति को देखते हुए भारत सरकार ने मार्च 2005 में अपना अग्रगामी कार्यक्रम राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) की शुरूआत की। इसका उद्देश्य एक लाख अविद्युतीकृत गांवों में बिजली पहुंचाना और 2.31 करोड़ ग्रामीण बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) परिवारों को मुपऊत बिजली कनेक्शन प्रदान करना है। इस योजना के तहत जो बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा रहा है, वह सभी घरों में बिजली का कनेक्शन देने के लिये पर्याप्त है। एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर) परिवारों को बिजली आपूर्ति करने वाली कम्पनी की शर्तों आदि के फार्म भर उनसे बिजली के कनेक्शन लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।

 

 

योजना- योजना में परियोजनाओं के लिये 9 प्रतिशत पूजीगत राज सहायता (सब्सिडी) दी जाती है और इसमें निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं - ग्रामीण विद्युत वितरण मेरुदंड (बैकबोन)(आरईडीबी), ग्रामीण विद्युतीकरण अधोसंरचना का सृजन (वीईआई), विकेन्द्रीकृत वितरित उत्पादन (डीडीजी) और आपूर्ति तथा गरीबी रेखा से नीचे परिवारों को ग्रामीण परिवार विद्युतीकरण। विकेन्द्रीकृत वितरण उत्पादन (डीडीजी) योजना के तहत राज्य उन क्षेत्रों में नवीन एवं नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित परियोजनायें भी हाथ में ले सकते हैं, जहां इनको लगाने में खर्च कम हो। आरजीजीवीवाई के तहत डीडीजी परियोजनायें लगाने के लिये विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये जा चुके हैं।

 

ग्यारहवीं योजना में भी आरजीजीवीवाई जारी है- योजना के अंतर्गत 68,763 गांवों में बिजली पहुंचाने और 83.1 लाख बीपीएल परिवारों को बिजली के मुपऊत कनेक्शन के लिये 97 अरब 32 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 234 जिलों की 235 परियोजनाओं की मंजूरी दी गई थी। दसवीं योजना के अंत तक 38.525 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी थी।

 

       ग्यारहवीं योजना में आरजीजीवीवाई को जारी रखने की मंजूरी भारत सरकार ने 3 जनवरी, 2008 को दी और इसके लिये 2 लाख 80 अरब रूपये की पूंजीगत सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया। वे राज्य जिनमें अविद्युतीकृत गांवों और परिवारों की संख्या काफी ज्यादा है, उनपर इस योजना के तहत ज्यादा जोर दिया गया है। ये राज्य हैं - असम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। जिन अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है वे हैं पूर्वोत्तर के विशेष श्रेणी वाले राज्य, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तराखंड, अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगने वाले जिले और नक्सल प्रभावित जिले। सौ से अधिक जनसंख्या वाली आबादियों को योजना में शामिल किया गया है।

 

       ऊर्जा मंत्रालय ने अब तक 534 जिलों के 118,146 गांवों में बिजली पहुंचाने और 2.45 करोड़ ग्रामीण बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क कनेक्शन देने की मंजूरी दी है। 15 जुलाई 2009 तक 63,040 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है और 63.6 लाख बीपीएल परिवारों को बिजली के मुपऊत कनेक्शन दिये जा चुके थे। मार्च 2012 तक सभी स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है।

 

 

क्रियान्वयन- ग्रामीण विद्युतीकरण निगम योजना पर अमल करने वाली नोडल एजेंसी है। परियोजना पर तेजी से अमल के लिये पावर ग्रिड, एनटीपीसी, एनएचपीसी, और डीवीसी जैसे केन्द्रीय विद्युत उपक्रमों की सेवाओं को 4 राज्यों की बिजली कम्पनियों को उपलब्ध कराया गया है। परियोजनाओं पर प्रभावी और उम्दा क्रियान्वयन के लिये, मंत्रालय ने क्रियान्वयन की टर्न काद्ग (पूर्ण रूप से तैयार करके दी जाने वाली) पध्दति, त्रि-स्तरीय निगरानी व्यवस्था और मील का पत्थर आधारित परियोजना निगरानी का तरीका अपनाया है। इस योजना के तहत राज्यों से विद्युतीकृत गांवों को न्यूनतम 6 से 8 घंटे बिजली देने को कहा गया है। आरजीजीपीवाई के तहत विद्युतीकृत गांवों में वितरण के प्रभावी प्रावधान के लिये फ्रैंचाइजियों (अधिकृत एजेटों) की नियुक्ति अनिवार्य कर दी है। वितरण प्रबन्धन के लिये अधिकृत एजेंसियों (फ्रैंचाइजी) की व्यवस्था से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिल रहे हैं। अब तक 99,643 गांवों में अधिकृत एजेंट नियुक्त किये जा चुके हैं।

 

निगरानी - मंत्रालय ने राज्यों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समन्वय समिति गठित करने और त्वरित क्रियान्वयन पर विपरीत प्रभाव डालने वाली अन्तर्विभागीय समस्याओं के निराकरण के लिये इसकी नियमित बैठक आयोजित करने को कहा है। मंत्रालय ने स्थानीय मुद्दों को निपटाने और परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिये राज्यों को संसद सदस्यों और विधायकों सहित सभी दावेदारों (स्टैक होल्डर) को लेकर जिला स्तरीय समितियां गठित करने को कहा है। यह अनुभव रहा है कि जिन राज्यों में ये समितियां सक्रिय हैं और जिनकी नियमित बैठकें होती रहती हैं, वहां प्रगति अन्यों के मुकाबले बेहतर है।

 

       योजनान्तर्गत, मंत्रालय ने राज्यों के बिजली उपक्रमों और उनके एजेंटों के '' और '' वर्ग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना भी शुरू किया है। ग्यारहवीं योजना के दौरा 75,000 कर्मचारियों और 40,000 फ्रैंचाइजियों (एजेंटों) को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2009-10 के दौरान 2500 कर्मचारियों और 5000 एजेंटों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।

 

 

       आरजीजीवीवाई के अन्तर्गत राज्यों से न्यूनतम 6 से 8 घटों के लिये बिजली की आपूर्ति करने, लाइनों में बिजली दोड़ाने के लिये पर्याप्त विद्युत (ऊर्जा) का प्रबंध करने और योजनान्तर्गत सृजित वितरण अधोसंरचना को विद्युत आपूर्ति के लिये उप-पारेषण अधोसंरचना की स्थापना करने की प्रतिप्रबध्दता के तौर पर अपनी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनायें अधिसूचित करने को कहा गया है। दस राज्यों को ग्रामीण विद्युतीकरण की अपनी अधिसूचनायें अभी जारी करनी बाकी है। ये राज्य हैं - आंध्र प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड।

 

वेबसाइट - मंत्रालय ने एक वेबसाइट  http://rggvy.gov.in शुरू की है, जिसमें आरजीजीवीवाई परियोजनाओं के बारे में सम्पूर्ण ब्यौरा जैसे योजना के तहत शामिल और विद्युतीकृत गांवों आदि का विवरण दिया गया है। 'पब्लिक फोरम' नाम से एक पृथक विन्डो बनाई गई है, जिसमें अपने विचार और शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है। इस वेबसाइट पर व्यापक विचारों एवं प्रश्नों का उत्तर सम्बंधित जिले में परियोजना पर अमल की उत्तरदायी एजेंसी तुरंत देती है।