सोमवार, अक्तूबर 09, 2006

चाइल्ड हेल्पलाइन - 1098

चाइल्ड हेल्पलाइन - 1098
रतन साल्दी

भारत में महिलाओं के साथ-साथ बच्चे भी समाज का सबसे कमजोर वर्ग हैं । देश में लगभग 44 करोड़, यानी कुल आबादी की एक तिहाई जनसंख्या 18 वर्ष से कम आयु के लोगों की है और बच्चों की संख्या हमारी आबादी का लगभग 19 प्रतिशत है । आर्थिक क्षेत्र में भारत ने बहुत प्रगति की है और नियोजकों को उम्मीद है कि इस साल सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत की विकास दर होगी । प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तो एक कदम और आगे जाते हैं और आशा वयक्त करते हैं कि कृषि और सम्बध्द क्षेत्रों में बेहतर स्थिति के चलते आर्थिक विकास की दर्ज 10 प्रतिशत तक जा सकती है। लेकिन  लाखों-करोड़ों बच्चों के लिए इसका क्या मतलब हो सकता है, जो बेहद गरीबी की हालत में रह रहे हैं और अपने बचपन से वंचित हैं । क्या इनकी परेशानी और शोषण दूर हो जाएंगे जो हर रोज उन्हें झेलने पड़ते हैं । लाखों बच्चे हर रोज अपने मालिकों, परिवार के सदस्यों, यहां तक कि अनजान लोगों की हिंसा का शिकार होते हैं । आर्थिक कारणों की वजह से वे स्कूल भी नहीं जाते हैं। बल्कि खेतों, कारखानों और घरों में छोटे-छोटे कामों के लिए उन्हें बाल मजदूर के रूप में रखा जाता है जहां उन्हें दुर्दशा, दुरुपयोग और अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ता है। तपतपाती गर्मी में पसीने से तर-बतर होकर उन्हें चुपचाप सर झुकाए काम करना पड़ता है और वे ऐसी जगहों पर हर रोज कई-कई घंटे काम करते हैं, जहां अंधेरा और उमस होती है और रोशनदान नहीं होते, जिससे उनकी जान को खतरा रहता है । लाखों बच्चे इस समय खेती, उद्योग, हथकरघा क्षेत्र और ईंटों के भट्ठों में मामूली मजदूर के रूप मे काम करते हैं और अपने घरों तक माता-पिता की देखभाल से दूर रहते हैं । क्या भारत की बढती विकास दर से, जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो रही है, कभी देश के दूर-दराज के इलाके में छोटे-से बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आ सकेगी । निकट भविष्य में इस सवाल का जवाब पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन सरकार, सभ्य समाज और बड़ी संख्या में गैर-सरकारी संगठन  इस विशाल कार्य में लगे हुए हैं ।

चाइल्ड लाईन फोन सेवा

       चाइल्ड लाईन फोन सेवा उन बच्चों के लिए दिन-रात चलने वाली आपात सेवा है, जिन्हें दिन को या रात को, किसी भी समय देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है । ऐसे बच्चों की समस्याओं को समझने और दूर करने के लिए 24 घंटे की टेलीहैल्प लाईन - चाइल्ड लाईन 1098 शुरू की गई है । चार अंकों की यह नि:शुल्क लाईन है, जिससे किसी बच्चे की फोन कॉल पास के चाईल्ड लाईन कॉल सेन्टर से जुड़ जाती है । ये समस्याएं अलग-अलग बच्चों की होती हैं, वे बच्चे-जो गलियों में घूमते हैं और युवा, जो शहर की गलियों में अकेले रहते हैं, असंगठित क्षेत्र के बाल मजदूर, वे बच्चे जिनका गलत इस्तेमाल होता है, वे बच्चे जिनका पूरा विकास नहीं होता, वे बच्चे जो नशे के आदि हो जाते हैं, वे बच्चे जो गैर-कानूनी काम करते हैं, बच्चे जो कानून से उलझ जाते हैं, बच्चे जो संस्थाओं में रहते हैं, मानसिक रूप से बीमार बच्चे, एचआईवीएड्स या लम्बी बीमारियों से प्रभावित बच्चे, संघर्षों और विपत्तियों से प्रभावित बच्चे, राजनीतिक उथल-पुथल से शरणार्थी बने बच्चे, वे बच्चे जिनके परिवार संकट में हैं, कुपोषण का शिकार बच्चे, निरक्षर बच्चे आदि ।

दस-नौ-आठ

       संख्या 1098 सही तरह से चुनी गई संख्या है। हिन्दी में इसे दस-नौ-आठ पढक़र आसानी से याद रखा जा सकता है । चाईल्ड लाईन इंडिया फाउंडेशन का एक धर्मार्थ संगठन के रूप में पंजीकरण हुआ है और इसका अपना एक न्यासी बोर्ड है । चाईल्ड लाईन फोन सेवा को महिला और बाल विकास मंत्रालय का सहयोग प्राप्त है और यह राष्ट्रव्यापी स्तर पर गैर-सरकारी संगठनों, द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों तथा निगमित कंपनियों की मदद से चलती है ।

74 नगरों में फोन सेवा

       इस समय चाईल्ड लाईन फोन सेवाएं 74 शहरों में चल रही हैं । ये शहर हैं-- अगरतला, अहमदाबाद, अकोला, इलाहाबाद, अलवर, अमरावती, औंरंगाबाद, बंग्लौर, बड़ौदा, भोपाल, भुवनेश्वर, चण्डीगढ, क़ुडालूर, चैन्नई, कायम्बतूर, दिल्ली, पूर्व मेदनीपुर, गोवा, गोरखपुर, गुवाहाटी, हैदराबाद, इम्फाल, इंदौर, जम्मू, जयपुर, कल्याण, कांचीपुरम, कन्याकुमारी, कराईकल, कोच्ची, कोलकाता, कोवलम, कोटा, कोझीकोड, कच्छ, लखनऊ, मंगलौर, मदुरै, मुम्बई, मुर्शिदाबाद, नादिया, नागापट्टिनम, नागपुर, नासिक, न्यू जलपाईगुडी, पटना, पोर्टब्लेयर, पुणे, पुरी, राउरकेला, रांची, सेलम, शिलांग, शोलापुर, दक्षिण 24 परगना, तिरूअनंतपुरम, थिरूनेलवेल्ली, त्रिशूर, तिरुचिलापल्ली, उदयपुर, उज्जैन, वाराणसी, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम, वायनाड, पश्चिम मेदनीपुर, आगरा, गुडगांव, शिमला, लुधियाना।  

       हर रोज 1500 सामाजिक कार्यकर्ता और 155 बाल अधिकार नेता, 83 चाईल्ड लाइन कॉल सेंटर और 33 सहयोग सेवा केन्द्र चलाते हैं, 6000 कॉलें दर्ज करते हैं और 2000 बच्चों तक पहुंचते हैं तथा मीडिया और बाल संरक्षण एजेंसियों के साथ काम करते हैं, सेंकड़ों सहयोगी संगठनों से तालमेल करते हैं, परिवारों को परामर्श देते हैं, प्रयत्यपर्ण के लिए प्रयास करते हैं और एक दूसरे के साथ बातचीत के जरिए सहमति बनाते हैं 

एक करोड़ कॉलें प्राप्त 

       1098 नम्बर अब संकट में घिरे बच्चों की जिंदगियां बदलने का एक बहुत महत्वपूर्ण साधन बन गया है । बच्चे इस सेवा को पहचानते हैं । अब तक इस नम्बर पर 99 लाख से अधिक कालें प्राप्त की जा चुकी हैं ।

       ऐसी योजना है कि कुछ समय के अंदर इन सेवाओं को धीरे-धीरे देश के सभी जिलों या बड़े शहरों में उपलब्ध कराया जाए । इस सेवा का उपयोग सरकारी-निजी भागीदारी के अंतर्गत बाल संरक्षण कार्यक्रमों के नियोजन, कार्यान्वयन, निरीक्षण और निगरानी के लिए किया जाएगा । बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, 2005 के अंतर्गत किशोरों को न्याय दिलाने के अधिनियम 2000 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए और कमजोर तथा बेसहारा बच्चों के लिए उपलब्ध में तालमेल सुनिश्चित करने के लिए, राज्य बाल संरक्षण यूनिट और जिला बाल संरक्षण यूनिट स्थापित किए जाएंगे।  (पसूका)


# वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व निदेशक समाचार, आकाशवाणी

 

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