सोमवार, मार्च 02, 2009

हायरसेकण्ड्री परीक्षायें शुरू, रात भर कटी बिजली

हायरसेकण्ड्री परीक्षायें शुरू, रात भर कटी बिजली

मुरैना 2 मार्च 09, आज से म.प्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल की हायर सेकण्ड्री परीक्षायें प्रारंभ हो गयी  हैं ! परीक्षाओं के दरम्‍यान भारत का भविष्‍य जहॉं कई जगह टाट पट्ट‍ियों पर तो कई जगह नंगी जमीन पर बैठ कर अपनी किस्‍मत को रोता रहा । उल्लेखनीय है कि इस बार दिन और रात लगातार बिजली कटौती के कारण छात्र अध्ययन नहीं कर पाये हैं और अपनी परीक्षाओं व तैयारी को लेकर भारी तनाव में हैं ! भारी बिजली कटौती के चलते छात्रों में घबराहट और फोबिया हो गया है जिसके कारण बच्चे एक तरफ जनरल प्रमोशन मांगते रहे वहीं दूसरी ओर परीक्षायें स्थगित किये जाने की भी माँग करते रहे !

बच्चों की समस्याओं और परेशानी को दर किनार कर सरकार ने उनकी बात सुन कर भी अनसुनी कर दी और अपनी राजनीतिबाजी में लगी रही ! बच्चों को न कोयला काण्ड से मतलब है न मामा की राजनीति से ! बच्चों को पढृने के लिये बिजली चाहिये थी लेकिन मामा ने उन्हें सिर्फ अंधकार दिया और राजनीति की फर्जी नौटंकीबाजी ! बच्चे परीक्षा से पूर्व भारी दुखी और हताश नजर आ रहे थे ! कई बच्चों ने ग्वालियर टाइम्स से चर्चा करते हुये कहा कि अगर उनका रिजल्ट बिगड़ा तो या तो घर से भाग जायेंगें या फिर अप्रिय कदम ? उठायेंगे !

हद तो तब हुयी जब परीक्षा की रात भी शाम 7 बजे से 8 बजे की कटौती के बाद रात साढ़े दस बजे से राज साढ़े 11 बजे तक चम्बल संभाग के संभागीय मुख्यालय पर बिजली गुल रही इससे पहले सुबह पाँच बजे से दोपहर साढे 11 बजे तक फिर उसके बाद शाम 7 बजे से आठ बजे तक चम्बल संभाग के सम्भागीय मुख्यालय पर बिजली कटौती नियमित रूप से चल ही रही है ! जिला मुख्यालयों, तहसीलों और गाँवों की दशा तो और भी अधिक बदतर है ! वहाँ तो कतई बिजली है ही नहीं ! यह बताना समीचीन होगा कि अभी चन्द रोज पहले ही चार बच्चे बिजली कटौती के चलते रात में मोमबत्ती से पढ़ते वक्त जिन्दा जल कर मर गये लेकिन उनके तथाकथित मामा ने संवेदन शीलता से कोसों परे रहकर स्थिति और ज्यादा खराब कर हजारों बच्चों को मोमबत्ती से पढ़कर जिन्दा जलने के लिये राम भरोसे छोड़ दिया ! मामा ने साइकिल बंटाई के मंजीरे बहुत पीटे लेकिन बच्चों को इमरजेन्सी लाइट एक भी नहीं बांटी ! बच्चों की हितैषी बनने का स्वांग भरने वाली सरकार के पास लाड़ली लक्ष्मीयों को मोमबत्ती से जलने का उपहार देने के सिवा अब कुछ शेष नहीं है !

खैर बच्चों का तो जो होगा सो होगा, इतना तो तय ही है कि आडवाणी जी प्राइम मिनिस्टिर नहीं बनने वाले, न तो कोई कोयला वाली बात सुनने मानने को तैयार है और न ढपोरशंखी बतोलेबाजी !